Monday, 7 August 2023

आजमगढ़ हत्या मामले में पिता-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा 29 जून 1999 को पुरानी रंजिश में मारी गई थी गोली


 आजमगढ़ हत्या मामले में पिता-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा


29 जून 1999 को पुरानी रंजिश में मारी गई थी गोली


उत्तर प्रदेश आजमगढ़ हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने पिता पुत्र को आजीवन कारावास तथा दस दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर छह रामानंद ने सोमवार को सुनाया।


 अभियोजन कहानी के अनुसार मुरली यादव पुत्र खिलावन यादव निवासी सुम्भाडीह थाना पवई का दामाद लाल बहादुर यादव पुत्र रामपलट निवासी जगदीशपुर थाना फूलपुर 29 जून 1999 को अपने गांव से ससुराल आ रहा था। तभी रास्ते में चकिया तिराहे पर लगभग रात नौ बजे पुरानी रंजिश को लेकर राधेश्याम पुत्र पुरुषोत्तम तथा राधेश्याम का लड़का हरिप्रसाद व दो अन्य लोगों ने लाल बहादुर के स्कूटर रोक लिया। राधेश्याम तथा हरिप्रसाद ने लाल बहादुर को गोली मार दी। घायल लालबहादुर को फूलपुर सरकारी अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए बीएचयू ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान 1 जुलाई को लाल बहादुर की मृत्यु हो गई। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद मुकदमे में चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया।


 अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता श्रीश कुमार चौहान ने वादी मुरली, नायब तहसीलदार, श्रीकांत तिवारी, श्यामजीत, दयाशंकर मिश्र, हीरावती, रामपलट, लालजी, कृपाशंकर, मोहम्मद नसीम फारूखी, लाल साहब यादव, उपनिरीक्षक काशीनाथ यादव तथा चीफ फार्मासिस्ट राजेंद्र प्रसाद बरनवाल को बतौर साक्षी न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी राधेश्याम तथा हरिप्रसाद को आजीवन कारावास तथा दस दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

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