शाहजहांपुर एक साथ उठीं 13 अर्थियां; बच्चों के शव दफनाते कांपे हाथ, बिलख पड़े लोग
ओवरटेक करने के प्रयास में पुल की रेलिंग तोड़कर नीचे जा गिरी थी ट्रैक्टर-ट्रॉली
उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर में तिलहर निगोही मार्ग पर बिरसिंगपुर गांव के पास शनिवार को ओवरटेक करने के प्रयास में ट्रैक्टर-ट्रॉली पुल की रेलिंग तोड़कर नीचे जा गिरी थी। इसके नीचे दबकर सुनौरा अजमतपुर गांव के 13 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। 28 लोग घायल हुए। पोस्टमार्टम के बाद रविवार की सुबह जब 13 शवों को गांव लाया गया तो चीत्कार मच गई। अपनों के शवों को देख महिलाएं रो-रोकर बेसुध हो गईं। हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है, उनके घर आसपास करीब सौ मीटर के दायरे में ही हैं।
रविवार की सुबह एक साथ 13 अर्थिया उठीं तो गांव में आंसुओं का सैलाब आ गया। करुण क्रंदन देख हर आंख नम हो गईं। श्मशान स्थल पर बच्चों के शव दफनाए गए। बड़ों की चिता को मुखाग्नि दी गई। बच्चों के शव दफनाते लोगों के हाथ कांप गए। अंतिम संस्कार में शहर विधायक एवं कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना भी पहुंचे।
सुनौरा में हर साल भागवत कथा का आयोजन ग्रामीणों के सहयोग से कराया जाता था। धार्मिक आयोजन में पूरा गांव बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था। नदी से कलश में जल भरने के लिए गांव के लगभग हर परिवार से लोग जाते थे। शनिवार सुबह से ग्रामीण कथा की तैयारियों में लगे हुए थे। लोग देवी गीतों पर नाच रहे थे। बच्चों में उत्साह था। गांव का माहौल भक्तिमय था, लेकिन हादसे ने पूरे गांव की खुशियां छीन लीं।
मिली जानकारी के अनुसार महिलाओं-बच्चों के साथ पुरुष ट्रैक्टर ट्रॉली में लदकर निकले थे। बताते हैं कि कुछ बुजुर्गों ने उन लोगों को टोका भी था। वे कह रहे थे कि ट्रॉली में इस तरह से लटककर मत जाओ। चालक ने तेज रफ्तार से ट्रैक्टर दौड़ाया, तब भी टोका, लेकिन वह नहीं माना। बिरसिंगपुर गांव के पास गर्रा नदी के पुल पर आखिरकार ट्रैक्टर-ट्रॉली नीचे जा गिरी। ट्रॉली के नीचे महिलाएं और बच्चे दब गए थे। हादसे के बाद चीख-पुकार मच गई। आसपास के लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। सूचना मिलते ही फोर्स के साथ पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
घायलों को अस्पताल भिजवाया, जहां बच्चों समेत 13 को मृत घोषित कर दिया। जैसे ही दुखद सूचना गांव पहुंची, हर ओर चीख-पुकार मच गई। जिन घरों के लोगों की मौत हुई थी या घायल हुए थे, उनको सांत्वना देने के लिए ग्रामीण उमड़ पड़े। गांव के राघवेंद्र सिंह, आशाराम, प्रमोद आदि ने बताया कि ऐसा हादसा आज तक न सुना और न देखा। एक साथ इतनी मौतें हो जाएंगी, ये कभी सपने में भी नहीं सोचा था। जिस गांव में कथा होनी थी, वहां करुण क्रंदन गूंज रहा है। किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। गलियों में सन्नाटा पसरा है। घरों में सिसकियां सुनाई दे रही हैं। जिन्होंने अपनों को खोया है, वे बदहवास हैं।
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