Wednesday, 14 September 2022

पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला कोर्ट ने पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया


 पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला


कोर्ट ने पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झांसी के मोठ थाने में 9 अक्टूबर 2019 में हुए पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर केस में आरोपी पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। परिजनों ने पुलिस के इस एनकाउंटर के खिलाफ आवाज उठाई थी।


हाईकोर्ट ने मृतक के परिजनों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। मृतक के परिजनों ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। यह चर्चित एनकाउंटर 9 अक्टूबर 2019 में हुआ था। इसके बाद इस एनकाउंटर पर विरोधी पार्टियों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मृतक के परिजनों से मिल थे और सरकार की जमकर खिंचाई की थी। बसपा सुप्रीमों मायावती और कांग्रेस ने भी पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे।


पुलिस एनकाउंटर में मारे गए बालू खनन से जुड़े पुष्पेंद्र यादव की 90 वर्षीय दादी यह सदमा नहीं बर्दाश्त कर पाईं। 3 दिन बाद उनकी भी डेथ हो गई थी। पुष्पेंद्र की मौत के बाद से उसकी दादी काफी सदमे में थीं। एक हफ्ते में दो मौतों से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था।


झांसी पुलिस के अनुसार, 9 अक्टूबर 2019 की रात कथित रूप से बालू खनन में शामिल पुष्पेंद्र यादव ने कानपुर-झांसी राजमार्ग पर मोंठ के थानाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान पर फायर कर दिया था। यही नहीं उनकी कार भी लूट ली थी। इस हमले में इंस्पेक्टर धर्मेंद्र के चेहरे पर फायर बर्न के निशान मिले थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। पुलिस ने उसी रात नाकेबंदी कर पुष्पेंद्र को गुरसरांय थाना इलाके में फरीदा के पास मुठभेड़ में मार गिराया था। उस वक्त पुष्पेंद्र के साथ दो और लोग थे। लेकिन, वे फरार हो गए।


एनकाउंटर के एक दिन बाद 10 अक्टूबर को पुष्पेंद्र यादव, विपिन, रविंद्र के खिलाफ मोंठ और गुरसरांय थाने में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए। सूत्रों के मुताबिक इससे पहले पुष्पेंद्र पर कोई मामला दर्ज नहीं था। बताया गया था कि मुठभेड़ से पहले मोंठ पुलिस ने पुष्पेंद्र का एक ट्रक पकड़ कर सीज कर दिया था। पुष्पेंद्र यादव का इंस्पेक्टर से इसी बात को लेकर विवाद हुआ था। परिजनों का आरोप था कि इसी खुन्नस में इंस्पेक्टर ने मुठभेड़ की फर्जी कहानी लिख डाली।

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