जब आजमगढ़ में योगी आदित्यनाथ पर हुआ था पेट्रोल बम से हमला
उत्तर प्रदेश लखनऊ 5 जून को योगी आदित्यनाथ 50 साल के हो जाएंगे। अगले पांच दिन हम उन्हीं से जुड़ी कहानियां लाने का प्रयास करेंगे। आज की कहानी 7 सितंबर 2008 की है। उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद थे। 40 गाड़ियों के काफिले के साथ आजमगढ़ में सभा करने जा रहे थे। काफिले की सातवीं गाड़ी पर हमला हो गया। पत्थर चलने लगे। भगदड़ मच गई। पुलिस ने गोली चला दी। 18 साल के मनीउल्लाह की मौत हो गई। इन सबकी वजह थी अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट। हम कहानी को उसी ब्लास्ट से शुरू करते हैं। दो पैराग्राफ के बाद आजमगढ़ की बात करते हैं।
अहमदाबाद के मणिनगर बाजार में 26 जुलाई 2008 की शाम 6 बजकर 45 मिनट पर धमाका हुआ। 2 सेकण्ड में 8 जिंदा लोग लाश में बदल गए। इस बम धमाके से लोग सचेत ही नहीं हो पाए और पूरे अहमदाबाद में धमाका शुरू हो गया। 7 बजकर 55 मिनट यानी अगले 70 मिनट में 21 धमाके हुए। हर बड़ी मार्केट में लाशे बिछ गई। जो घरों में थे वह मदद के लिए बाहर ही नहीं निकले।
अगले दिन लाशें गिनी गई। सरकार ने 56 लोगों के मौत की पुष्टि कर दी। 300 लोग गंभीर घायल हुए। इनमें किसी का पैर चला गया तो किसी का हाथ। इंडियन मुजाहिद्दीन ने हमले की जिम्मेदारी ली। कहा, "गोधरा कांड का बदला लिया।" गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार ने गिरफ्तारी शुरू की। कुल 80 लोग गिरफ्तार किए गए। इनमें 8 आरोपी आजमगढ़ से थे। बस इसीलिए योगी आदित्यनाथ वहां गए थे।
7 सितंबर 2008, हिन्दू युवा वाहिनी ने आजमगढ़ के डीएवी कॉलेज में आतंकवाद विरोधी रैली बुलाई। रैली अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट को लेकर थी। योगी आदित्यनाथ मुख्य वक्ता थे। 1 हफ्ते पहले ही आजमगढ़ से ब्लास्ट के 8 आरोपी गिरफ्तार हुए थे इसलिए इस बैठक को लेकर प्रशासन बेहद गंभीर था। पहले तो रोकने की कोशिश की लेकिन बाद में अनुमति दे दी। संगठन के जिला अध्यक्ष हरिबंश मिश्रा ने सारी व्यवस्था की।
'योगी आदित्यनाथ' द राइज ऑफ अ सैफरन सोशलिस्ट' किताब में प्रवीण कुमार लिखते हैं, "योगी आदित्यनाथ सुबह 40 गाड़ियों के काफिले के साथ आजमगढ़ के लिए रवाना हुए। आजमगढ़ पहुंचे तो PWD गेस्ट हाउस रुके। यहां लग गया कि अनहोनी हो सकती है इसलिए योगी की जो गाड़ी काफिले में 7वें नंबर पर थी वह पहले नंबर पर आ गई।"
1 बजकर 20 मिनट पर काफिला तकिया इलाके से गुजरा। यहां काफिले के साथ कुछ बाइक और गाड़ियां बराबर पर चलने लगी। एक पत्थर काफिले में 7वें नंबर पर चल रही गाड़ी पर आकर लगा तो पीछे की गाड़ियां रुक गई। आगे की 6 गाड़ियां तेजी से आगे बढ़ गई। पीछे की गाड़ियों पर अचानक पत्थर और पेट्रोल बम चलने लगा। इसी बीच रजादेपुर मठ के महंत शिवहर्ष भारती की गाड़ी का शीशा तोड़कर उन्हें चाकू मार दिया गया।
हमलावर योगी आदित्यनाथ को खोज रहे थे पर नहीं मिले तो भीड़ और उग्र हो गई। इलाके में भगदड़ मच गई। पुलिस चाकू-पत्थर रोकने में फेल हो रही थी तभी शहर के सीओ शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने काउंटर हमले का आदेश दे दिया। पुलिस ने गोलियां दागनी शुरू कर दिया। फायरिंग में 18 साल के मनीउल्लाह नाम के लड़के की मौत हो गई। उस वक्त की मायावती सरकार ने एसपी विजय गर्ग को निलंबित कर दिया।
प्रवीण कुमार अपनी किताब में लिखते हैं, "आतंक विरोधी रैली को लेकर आजमगढ़ में मुस्लिमों के बीच नाराजगी थी। हमले की पूरी आशंका थी। इसलिए योगी आदित्यनाथ की भगवा एसयूबी काफिले में 7वें नंबर पर चल जरूर रही थी लेकिन वह उसमें न होकर पहले नंबर वाली गाड़ी में थे। हमला हुआ तो उनकी गाड़ी तेजी से निकलते हुए आगे बढ़ गई।"
योगी आदित्यनाथ रैली में पहुंच गए। अबु बशीर की गिरफ्तारी और आतंकी हमलों पर भाषण दिया। लेकिन अपने ऊपर हुए हमले पर एक शब्द भी नहीं बोला। 3 घंटे बाद रैली खत्म हुई तब तक पुलिस ने शहर कोतवाली में बलवा, मारपीट, डकैती, हत्या के प्रयास, हत्या की धाराओं के साथ केस दर्ज किया। कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन 2017 तक भी पुलिस इनके खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई।
No comments:
Post a Comment