उत्तर प्रदेश मे बड़ा ऐक्शन 100 अफसरों की सेवा समाप्त
फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार का था आरोप
अचानक हुई कार्रवाई से सकते में पड़े अधिकारी
लखनऊ आवास विकास परिषद में संविदा पर कार्यरत करीब 100 अफसरों की सेवाएं मंगलवार को समाप्त कर दी गयीं। इन अधिकारियों को वर्ष 2019 से 2021 के बीच में रिटायर होने के बाद संविदा पर रखा गया था। सचिव आवास डॉ. नीरज शुक्ला ने मंगलवार को इनकी सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया। अचानक सेवाएं समाप्त होने से संविदा पर कार्यरत अधिकारी सकते में पड़ गए।
आवास विकास परिषद में अधिकारियों और इंजीनियरों के पद रिक्त हैं। जिससे आवास विकास का काम प्रभावित था। आवास विकास ने 2019 में परिषद के रिटायर अधिकारियों, इंजीनियरों तथा लेखा विभाग के अफसरों को विभिन्न पदों पर संविदा पर तैनाती दी थी। अच्छे वेतन पर रखा गया था।
इंजीनियरों को तकनीकी सलाहकार, तकनीकी विशेषज्ञ, लेखा सलाहकार तथा प्रशासनिक विशेषज्ञ के पद पर तैनात किया था।
उच्च स्तर की नाराजगी के बाद मंगलवार को इन्हें हटाया गया। आवास विकास सूत्रों ने बताया कि सीएम कार्यालय को यहां के कुछ अधिकारियों के बारे में शिकायतें मिली थीं। संविदा पर तैनात कुछ अधिकारी भी फर्जीवाड़े व भ्रष्टाचार में आरोपी रहे हैं। इसी वजह इन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया गया।
उत्तर प्रदेश आवास विकास में 45 प्रतिशत से अधिक पद खाली चल रहे हैं। इससे परिषद का काम प्रभावित हो रहा था। इसीलिए रिटायर अधिकारियों को संविदा पर रखा गया था। वहीं केवल जेई के 596 पदों में से 170 ही रह गये हैं। जानकारी के अनुसार बाकी रिटायर हो गये हैं।
संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने कहा कि आउटसोर्सिंग कर्मियों के तबादले नियम विरुद्ध हो रहे हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से लेकर मिशन निदेशक तक से इसकी शिकायत की है।
जिम्मेदारों को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव द्वारा जारी समूह ग के कार्मिकों का प्रत्येक तीन वर्ष के उपरांत पटल, क्षेत्र परिवर्तन किए जाने के निर्देश का दुरुपयोग किया जा रहा है। तबादले के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है। योगेश उपाध्याय का कहना है कि 13 मई के शासन के आदेश में कार्मिकों के पटल बदले के निर्देश थे। जिसके बाद से मनमाने तरीके से तबादले हो रहे हैं। जिससे कर्मचारी गंभीर से रूप से काफी परेशान हैं।
No comments:
Post a Comment