कानपुर धर्मांतरण मामले में थानेदार और चौकी इंचार्ज सस्पेंड
दो संप्रदाय व दलित से जुड़ा होने के बाद भी थानेदार और दरोगा ने दबाए रखा था मामला
उत्तर प्रदेश कानपुर काकादेव में नाबालिग को अगवा कर धर्मांतरण कराने और उसकी दो गुनी उम्र की महिला से शादी कराने के मामले में कानपुर पुलिस कमिश्नर ने बड़ी कार्रवाई की है। संवेदनशील मामला होने के बाद भी उसे दबाने और अफसरों को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं देने पर काकादेव थाना प्रभारी रामकुमार गुप्ता और दरोगा शेर सिंह को डीसीपी वेस्ट ने सस्पेंड किया है। इसके साथ ही विभागीय जांच का भी आदेश दिया है।
डीसीपी वेस्ट बीबीजीटीएस मूर्ति की रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन पहले 21 मई को हुई नाबालिग के धर्मांतरण के घटना की जानकारी इंस्पेक्टर काकादेव रामकुमार गुप्ता और दरोगा शेर सिंह को हो गई थी। मामला अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़ा होने और और इसका साम्प्रदायिक दृष्टिकोण अति संवेदनशील होने के बाद भी मामले में कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही नहीं थानेदार और चौकी इंचार्ज ने वरिष्ठ अफसरों को भी मामले की जानकारी नहीं दी। पूरे मामले में एक्शन लेने की बजाए दबाने का प्रयास किया। इसके चलते कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया था।
घोर लापरवाही करने पर डीसीपी वेस्ट बीबीजीटीएस मूर्ति ने थानेदार और पांडु नगर चौकी इंचार्ज शेर सिंह को सस्पेंड कर दिया।
डीसीपी वेस्ट ने बताया कि निलंबन की कार्रवाई के बाद अब इंस्पेक्टर राम कुमार गुप्ता और दरोगा शेर सिंह को आधा वेतन मिलेगा। उनके तैनाती पुलिस लाइन में रहेगी। बगैर अनुमति के हेडक्वार्टर भी नहीं छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही अब पूरे मामले में थानेदार और दरोगा की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब इंस्पेक्टर राम कुमार गुप्ता पर घोर लापरवाही का आरोप लगा और सस्पेंड करने की कार्रवाई की गई है। इससे पूर्व चकेरी थाना प्रभारी रहने के दौरान इंस्पेक्टर राम कुमार गुप्ता पर पिंटू सेंगर हत्याकांड में विवेचना में गड़बड़ी करने का आरोप लगा था। तत्काली एसएसपी ने राम कुमार गुप्ता को लापरवाही के आरोप में लाइन हाजिर कर दिया था। इसके साथ ही विभागीय जांच भी की गई थी।
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