Wednesday, 9 February 2022

आजमगढ़ समय-समय पर कराते रहें, अपनी आंखों का परीक्षण – सीएमओ।


 आजमगढ़ समय-समय पर कराते रहें, अपनी आंखों का परीक्षण – सीएमओ।



आजमगढ़ से तनवीर आलम की रिपोर्ट।




अप्रैल 2021 से अब तक की गयी 20564 मरीजों की ओपीडी 

वर्ष भर में किये गये 1069 मोतियाबिंद के आपरेशन।




उत्तर प्रदेश आजमगढ़, 9 फरवरी 2022  

जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय अंधता एवं  दृष्टिक्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।




 बढ़ती उम्र के साथ होने वाली आंखों की सबसे सामान्य समस्या मोतियाबिंद है। इसमें प्राकृतिक लेंस के प्रोटीन की बनावट में बदलाव आ जाता है, जिससे वह मोतियाबिन्द में परिवर्तित हो जाता है, जिससे प्रकाश की पारदर्शिता खराब/कम हो जाती है।  इससे व्यक्ति के देखने की क्षमता कम हो जाती  हैं और व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता है। अपनी आखों का परीक्षण समय-समय पर कराते रहना चाहिए जिससे आंखों में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके। 




यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी का।


उन्होने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या 45 साल के बाद लोगों में पायी जाती है। मोतियाबिंद बढ़ती उम्र में एक समस्या हो जाती है। जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 60 से 70 फीसदी मरीजों में रिफरैक्शन, 20 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद तथा 10 फीसदी में अन्य की समस्या पायी जाती है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।




 क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है कि वह मोतियाबिंद से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि 40 साल के बाद नजर में कमी होने पर शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाएं।




कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ. उमाशरण पाण्डेय ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत 45 वर्ष के ऊपर के बुजुर्गो तथा  1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को चश्मा दिया जाता है भारत में अभी अंधता का प्रतिशत 0.36  है इसे 2024 तक 0.3% तक लाना है। भारत में बच्चों में होने वाली दृष्टिहीनता का एक बड़ा एवं मुख्य कारण उनके नेत्रों में होने वाले इनफेक्सन, विटामिन ए की कमी, कुपोषण, नेत्रों में लगने वाली चोटें, बाल्यावस्था में होने वाला मोतियाबिंद और निकट एवं दूर दृष्टि दोष आदि हैं। जनपद में आरबीएसके कार्यक्रम  के अंतर्गत   पूरे 21 ब्लाकों में, प्रत्येक ब्लाक में 2 टीमें कार्य करती हैं। जिसमें स्कूलों में तथा आगंनबाड़ी में बच्चों का नेत्र परीक्षण विशेषज्ञ टीम द्वारा किया जाता है।




  नियमित अंतराल पर नेत्र परीक्षण करायें तथा  नियमित शारीरिक अभ्यास तथा योग करें। हरी सब्जियों और फलों का प्रयोग करते रहने से नेत्र संबंधी परेशानियों से बचा जा सकता है।




मंडलीय जिला चिकित्सालय के नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं सर्जन डॉ. रजनीश कुमार सेठ ने बताया कि अस्पताल में तीन नेत्र विशेषज्ञों की ओपीडी प्रतिदिन होती है।  राष्ट्रीय अंधता एवं  दृष्टिक्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत मरीजों की ओपीडी कमरा नं. 12, 16 और 18 में की जाती है। एक नेत्र विशेषज्ञ की ओपीडी में लगभग 50 से 60 मरीज आते हैं। जनवरी से अब तक 2644   मरीजों की ओपीडी की गयी है। तथा वर्ष 2020-21 में कुल 20564 मरीजों की ओपीडी की गयी थी। कोरोना संक्रमण के बावजूद वर्ष 2020-21 में 1069  मोतियाबिन्द के आपरेशन किए गये थे। जनवरी से अब तक 270 आपरेशन किये  गये हैं। 




डॉ सेठ ने बताया कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निःशुल्क मोतियाबिंद का आपरेशन (इंट्रा ओकुलर लेंस – आईओएल) का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। मरीजों की  जांच, दवा, आपरेशन के उपरान्त की दवा भी निःशुल्क दी जाती है। आपरेशन पूरे वर्ष भर सोमवार से शनिवार दिवस में किया जाता है। इसके अलावा जनपद के  सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मोतियाबिंद आपरेशन के मरीज नियत दिवसों में आते हैं। यहाँ पर उनका आवश्यकतानुसार समुचित इलाज किया जाता है। यहाँ मोतियाबिंद के आपरेशन सहित समलबाई (ग्लूकोमा), नाखूना (टेरेजियम) तथा कैलाजियान का भी इलाज किया जाता है। गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों को सीतापुर आँख का अस्पताल, सीतापुर तथा प्रयागराज नेत्र चिकित्सालय, प्रयागराज रेफर किया जाता है। 




उन्होने बताया कि धूम्रपान न करें, गुटखा ,तम्बाकू व खैनी के प्रयोग से बचें यह प्राकृतिक लेंस की बनावट को तथा तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है काले चश्मे का प्रयोग करें यह सूरज कि परबैगनी किरणों से बचाता है। खतरनाक काम करते समय सुरक्षा चश्में का प्रयोग करें। कंपूटर स्क्रीन को दूर से देखें। तथा ब्राइटनेस कम रखें। 

बसई असरापुर निवासी 50 वर्षीय ज्ञानमती ने बताया कि हमारी आंखों कि रोशनी कम हो गई है। डॉ को दिखाया तो उन्होने आपरेशन का सुझाव दिया है। उनके पति नरेंद्र ने कहा कि यहाँ सभी जांच तथा दवाएं निःशुल्क हैं, यहाँ सुविधा बहुत अच्छी है।  

रहमतनगर निवासी 14 वर्षीय सायम ने बताया कि मुझे आंखों में चोट लग गई थी। यहाँ से इलाज चल रहा है, मुझे आराम है। यहाँ सुविधा अच्छी है, तथा जांच, दवा सभी निःशुल्क है।   



 

यह हैं मोतियाबिंद के लक्षण -

धुँधली या अस्पष्ट दृष्टि

रोशनी के चारों ओर गोल घेरा सा दिखना

दिन के वक्त कम दिखाई देना

हर वक्त दोहरा दिखाई देना

हर रंग का फीका दिखना।



मोतियाबिंद होने के कारण -

बढ़ती उम्र 

अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आँखों पर पड़ना

आँख में चोट लगना

डायबिटीज/ब्लड प्रेसर।




इस तरह करें बचाव -

आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए

वृद्धावस्था में आंखों के प्रति सचेत रहना चाहिए तथा आँख को स्वच्छ रखें   

मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने की समस्या अधिक होती हैं जिससे की मोतियाबिंद होने का जोखिम भी बढ़ जाता हैं। इसलिए अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखें और डायबिटीज को भी कंट्रोल में रखें।



घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्में जरूर पहनें।

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