Sunday 29 September 2024

उत्तर प्रदेश में बारिश का कहर, उफनाई नदियां, 17 की मौत मकान ढहने और बिजली गिरने से हुई मौतें


 उत्तर प्रदेश में बारिश का कहर, उफनाई नदियां, 17 की मौत



मकान ढहने और बिजली गिरने से हुई मौतें




उत्तर प्रदेश लखनऊ प्रदेश के ज्यादातर जिलों में शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी बारिश का सिलसिला नहीं थमा। मिली जानकारी के मुताबिक इससे अलग-अलग जिलों में मकान ढहने और बिजली गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई। सबसे ज्यादा बुरा हाल अवध क्षेत्र का है। अंबेडकरनगर में दीवार व कच्चा घर ढहने से दो बुजुर्ग समेत चार लोगों की मौत हो गई। सुल्तानपुर में बारिश के बीच घर ध्वस्त होने और बिजली गिरने से दो लोगों ने दम तोड़ दिया। वहीं श्रावस्ती में राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। चित्रकूट में दो स्थानों पर बिजली गिरने से किसान और महिला की मौत हो गई। फतेहपुर में कच्चे मकान की दीवार गिरने से महिला की मौत हो गई। प्रयागराज में बारिश के बीच टिन शेड का गर्डर गिरने से रिक्शा चालक की मौत हो गई।


 वाराणसी, जौनपुर, भदोही और बलिया में भी बिजली गिरने से तीन महिलाओं सहित पांच लोगों की मौत हो गई। गोरखपुर में बारिश से हुए हादसों में दो लोगों की मौत हो गई। नेपाल में मुसलाधार बारिश से उफना रही कुसुमा नदी का पानी राप्ती में छोड़ा जा रहा है। इससे शनिवार शाम श्रावस्ती के जमुनहा के राप्ती बैराज पर नदी खतरे के निशान से 110 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई। इकौना के लैबुड़वा गांव में कटान तेज हो गया है। खेत जलमग्न हो गए हैं।


 बहराइच में बाढ़ की आशंका में 20 गांवों में अलर्ट जारी किया गया है। सुल्तानपुर के उदयपुर गांव में हरिशंकर तिवारी का घर पानी से घिर गया। अग्निशमन कर्मियाें ने परिवार के सभी सात सदस्यों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश से गोरखपुर-बस्ती मंडल की नदियां राप्ती, रोहिन, सरयू और गंडक उफान पर हैं। सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, महराजगंज में कई गांवों में पानी घुस गया है। सोनौली से काठमांडो और पोखरा जाने वाले मार्ग बंद कर दिए गए हैं। दो सौ से अधिक वाहन भूस्खलन में फंसे हैं। कानपुर में ग्रीनपार्क में भारत-बांग्लादेश के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच का दूसरा दिन भी बारिश की भेंट चढ़ गया। पिछले तीन दिनों में हुई भारी बारिश से खेतों में जलभराव से धान, अरहर, मूंगफली व हरी सब्जियां उगाने वाले किसान चिंतित हैं। उन्हें फसल के खेतों में गिरने से नुकसान का डर सता रहा है।

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