कानपुर जांच में फंसे सहारा ग्रुप के 15 अधिकारी
850 लोगों के हड़पे थे 50 करोड़, ऐसे हुआ था खेल
उत्तर प्रदेश कानपुर में लोगों की गाढ़ी कमाई हड़पने के आरोप में दिवंगत सुब्रत राय सहारा की सहारा ग्रुप की कंपनियों के 15 बड़े अधिकारियों की गर्दन फंस गई है। शासन के निर्देश पर कानपुर के काकादेव थाने में दर्ज केस की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ 850 से अधिक लोगों के करीब 50 करोड़ रुपये हड़पने के पुख्ता सबूत मिले हैं। जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी, जहां हर पहलू पर मंथन के बाद एजेंसी को आगे की कार्रवाई के निर्देश मिल गए हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर अब जांच एजेंसी आरोपियों की गिरफ्तारी कर चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में जुट गई है।
मिली जानकारी के अनुसार बता दें मंधना के रहने वाले अधिवक्ता आशुतोष शर्मा, छोटे लाल पांडेय, सर्वजीत सिंह, संजय कुमार गुप्ता व विनोद त्रिपाठी ने अन्य निवेशकों के साथ मिलकर काकादेव थाने में सहारा ग्रुप की सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, स्टार मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी, सहारा क्यू शॉप प्रोडक्ट्स रेंज और हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के अधिकारियों के खिलाफ पैसे हड़पने का आरोप लगाया था।
पीड़ितों का कहना था कि आरोपियों ने एकराय होकर किस्तों में पैसा लेकर निर्धारित समय में कई गुना कर वापस देने का झांसा दिया था। तय अवधि के बाद भी पैसे न लौटाने की वजह से उनके लिए परिजनों के इलाज, बिजली बिल, किराया, राशन व बच्चों की पढ़ाई जैसे रोजमर्रा के काम में भी मुश्किल आ रही है। पीड़ितों की तहरीर पर कोर्ट के आदेश पर तीन साल पहले काकादेव थाने में केस दर्ज किया गया था। चूंकि मामला बड़ी कंपनी और सैकड़ों लोगों से हुई वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा था, इसलिए शासन ने इसकी जांच विशेषज्ञ एजेंसी के तौर पर ईओडब्ल्यू को दे दी। इस दौरान कानपुर के अलावा लखनऊ व दिल्ली और मध्यप्रदेश तक से शासन को मिली शिकायतों को भी इसी केस की जांच में शामिल कर दिया गया। तीन साल तक हर पहलू पर जांच करने के बाद जांच एजेंसी ने अपनी विवेचना की रिपोर्ट शासन को भेज दी। शासन में भी कई स्तर पर जांच की समीक्षा के बाद अगली कार्रवाई की मंजूरी दे दी गई है। कंपनी ने पहले लोगों से पांच सौ से लेकर पांच हजार रुपये प्रति महीने के हिसाब से सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी की एक स्कीम में निवेश कराया। इसमें आरडी, एफडी के तौर पर रकम जमा कराई गई और सभी को हर महीने की रसीद भी दी गई।
स्कीम की मियाद पूरी होने पर दो से चार गुना तक पैसे लौटाने की बात कही गई थी। करोड़ों रुपये कमाने के बाद आनाकानी शुरू कर दी लेकिन जब समय आया, तो कंपनी ने बिना लोगों को बताए सहारा क्रेडिट से पैसे क्यू शॉप नाम की दूसरी कंपनी की स्कीम में डाल दिए। उस स्कीम की अवधि पूरी हुई, तो फिर तीसरी और चौथी स्कीम में पैसा घुमाया गया और आम लोगों के पैसे से कंपनी ने करोड़ों रुपये कमाने के बाद लौटाने के समय आनाकानी शुरू कर दी। मामले के मुख्य शिकायतकर्ता व अधिवक्ता आशुतोष कुमार शर्मा ने बताया कि गरीब से लेकर सामान्य और उच्च वर्ग के लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई कंपनी में लगाई थी। लोगों ने समय से स्कीम के अनुसार अपनी किस्तें भरीं लेकिन कंपनी ने पूरी रकम हड़प ली। जब तक कंपनी से पूरे पैसे ब्याज सहित नहीं मिलते हैं तब तक उनके खिलाफ न्याय की जंग जारी रहेगी।
जिन अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं, उनमें सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के चेयरमैन एके श्रीवास्तव, एमडी करुणेश अवस्थी, क्षेत्रीय प्रमुख वीके वर्मा, एनके सेंगर, जोनल मैनेजर तारिक हुसैन, शाखा प्रबंधक एचएस बाजपेई और क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज तिवारी प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। साक्ष्य मिलने के बाद अब इन सभी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
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