135 साल के इतिहास में पहली बार कांग्रेस के साथ होगा ऐसा वाक्या
लखनऊ उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन होगा जब यूपी की विधानपरिषद 135 साल के इतिहास में बुधवार 6 जुलाई 2022 को पहली बार कांग्रेस विहीन हो जाएगी। प्रदेश विधान मण्डल के इस उच्च सदन कांग्रेस के एकमात्र सदस्य दीपक सिंह बुधवार को रिटायर हो जाएंगे। पांच जनवरी 1887 को प्रांत की पहली विधान परिषद गठित हुई थी और आठ जनवरी 1887 को थार्नाहिल मेमोरियल हाल इलाहाबाद में संयुक्त प्रांत की पहली बैठक हुई थी।
तब से अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब विधान परिषद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व न रहा हो। मगर अब बुधवार से प्रदेश विधान परिषद में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं रह जाएगा।
विधान परिषद के जो 9 सदस्य 6 जुलाई 2022 को रिटायर हो रहे हैं, उनमें 6 सपा के 3 बसपा के एक कांग्रेस व दो भाजपा के सदस्य हैं। मगर भाजपा के 2 सदस्य उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पंचायतीराज मंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह फिर से विधान परिषद के चुनाव में विजयी होकर सदन के सदस्य हो गए हैं।
इनके अलावा सपा के जगजीवन प्रसाद, बलराम यादव, डा.कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, राम सुन्दर दास निषाद और शतरूद्र प्रकाश का कार्यकाल बुधवार को खत्म हो रहा है।
इनके अलावा बसपा के अतर सिंह राव, सुरेश कुमार कश्यप और दिनेश चन्द्रा भी रिटायर हो रहे हैं। कांग्रेस के दीपक सिंह भी कल से विधान परिषद के सदस्य नहीं रहेंगे।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, मंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह, मंत्री जेपीएस राठौर, राज्य मंत्री जसवंत सिंह सैनी, मंत्री नरेन्द्र कश्यप, मंत्री दयाशंकर मिश्र और राज्यमंत्री दानिश आजादी अंसारी के अलावा मुकेश शर्मा और बनवारी लाल दोहरे और सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य, मुकुल यादव, सहारनपुर के शाहनवाज खान और सीतापुर के पूर्व विधायक जासमीर अंसारी का भी कार्यकालआज से ही शुरू होगा।
विधान परिषद में अब 8 रिक्तियां रह गईं हैं। इनमें सपा के अहमद हसन का निधन होने और सपा के मनोनीत सदस्यों बलवंत सिंह रामूवालिया, वरिष्ठ शायर वसीम बरेलवी, मधुकर जेटली तथा डा.राजपाल कश्यप, अरविन्द कुमार सिंह तथा डा.संजय लाठर का कार्यकाल खत्म हो गया। तथा भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह परिषद सदस्य थे, जिनका कार्यकाल 5 मई 2024 तक था मगर विधान सभा चुनाव में जीतने के बाद उन्होंने परिषद से इस्तीफा दे चुके हैं।
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