मिर्जापुर बर्खास्त हुई फर्जी शिक्षिका प्रियंका
लंदन वाली प्रियंका के नाम पर कर रही थी नौकरी
उत्तर प्रदेश मिर्जापुर लंदन में रहने वाली प्रियंका के नाम पर मिर्जापुर जिले में नौकरी कर रही शिक्षिका प्रियंका को अपर शिक्षा निदेशक राजकीय डॉ अंजना गोयल ने शुक्रवार को बर्खास्त कर दिया।
शिक्षिका मिर्जापुर जिले के पहाड़ी विकासखंड के भरपुरा स्थित राजकीय विद्यालय में तैनात थी। फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करने वाली कन्नौज निवासी शिक्षिका के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हाल ही में गुमनाम शिकायती पत्र से हुआ था।
कन्नौज जिला निवासी प्रियंका ने लंदन में रहने वाली प्रियंका के दस्तावेजों पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की थी।
साथ ही लगभग पांच वर्ष तक उसने नौकरी की और 40 लाख रुपये से ज्यादा वेतन के रूप में ले चुकी।
एक गुमनाम पत्र से हुए इस खुलासे के बाद जांच हुई। संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉक्टर कामता राम पाल और जांच टीम की आख्या पर कार्रवाई करते हुए अपर शिक्षा निदेशक राजकीय डॉ अंजना गोयल ने पहाड़ी विकासखंड के भरपुरा स्थित राजकीय विद्यालय में नौकरी कर रही प्रियंका की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी करने वाली शिक्षिका के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ गुमनाम शिकायती पत्र ने कर दिया। बताया जाता है यह गुमनाम पत्र कन्नौज जिले के ही किसी जानकार द्वारा ही भेजा गया था। गुमनाम पत्र मिलते ही शिक्षिका के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई थी।
तीन सदस्यीय टीम ने शिक्षिका के अभिलेखों की जांच की। साल 2002 के कार्यकाल के दौरान कन्नौज जिले में बीएसए रहे कामताराम पाल फिलाहल विंध्याचल मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) के पद पर तैनात हैं। अप्रैल माह में जेडी कामताराम पाल के दफ्तर में एक गुमनाम शिकायती पत्र डाक के जरिये पहुंचा। इसमें लिखा गया था कि लंदन में रहने वाली प्रियंका के फर्जी दस्तावेज लगाकर कन्नौज जिले की एक अन्य प्रियंका नाम की लड़की फर्जी तरीके से नौकरी कर रही है।
गुमनाम पत्र मिलने के बाद सहायक अध्यापिका की सेवा पुस्तिका में दर्ज पते पर जेडी दफ्तर की ओर से एक सत्यापन पत्र डाक के जरिये भेजा गया।
सत्यापन पत्र डाक के जरिये लंदन में रह रही प्रियंका प्रजापति के पिता डॉ. मनोज कुमार के घर पहुंचा। तब जाकर फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ। डॉ. मनोज कुमार की बेटी प्रियंका कई वर्षों से लंदन में रह रही है। मनोज कुमार ने कन्नौज एसपी को प्रार्थना पत्र देकर पूरे मामले की जानकारी दी और फर्जी दस्तावेजों के जांच कराने की मांग की।
फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी करने की पुष्टि होने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
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